
पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर और दिग्गज लेग स्पिनर मुश्ताक अहमद ने हाल ही में पाकिस्तान क्रिकेट में चल रही समस्याओं और खिलाड़ियों के साथ होने वाले व्यवहार पर तीखी टिप्पणी की है। अपने अनुभवों और क्रिकेट के अंदरूनी हालातों के आधार पर उन्होंने कई मुद्दों को उजागर किया है, जो पाकिस्तान क्रिकेट की गिरावट के लिए ज़िम्मेदार माने जा सकते हैं।
1. मुश्किल वक्त में सहयोग की कमी
मुश्ताक अहमद ने इंग्लैंड में ससेक्स काउंटी क्रिकेट क्लब के लिए शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन इस दौरान उन्होंने खुद को बेहद अकेला महसूस किया। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि इतने अच्छे प्रदर्शन के बावजूद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) की तरफ से उन्हें एक भी फोन कॉल नहीं मिली।
उन्होंने कहा:
“जब मैंने इतने साल ससेक्स के लिए खेले, तब मुझे पीसीबी की तरफ से एक भी कॉल नहीं आई।”
उन्होंने बताया कि जब उन्हें घुटनों में चोट आई और वह संन्यास लेने को मजबूर हुए, तब भी बोर्ड ने कोई संज्ञान नहीं लिया। हालांकि उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से शिकायत नहीं है, लेकिन यह घटना बताती है कि पाकिस्तान क्रिकेट के ढांचे में खिलाड़ियों के प्रति भावनात्मक जुड़ाव और देखभाल की कमी है।
2. मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी
मुश्ताक अहमद ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के बोर्ड अपने खिलाड़ियों को कठिन समय में मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए ब्रेक देते हैं, लेकिन पाकिस्तान में यह बात अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती है।
उन्होंने भारत के विराट कोहली का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे विराट को एक ब्रेक मिला था, उसी तरह बाबर आज़म को भी थोड़ा विश्राम दिया जाना चाहिए था।
“अगर मैं चयनकर्ता होता या टीम मैनेजमेंट में होता, तो बाबर को कुछ मैचों के लिए आराम करने की सलाह देता।”
3. अनुशासन और संवादहीनता
मुश्ताक ने पीसीबी के अनुशासन के अभाव पर भी कटाक्ष किया। उनका मानना है कि बोर्ड को खिलाड़ियों के साथ संवाद सुधारने और अनुशासन लागू करने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि कई विवाद इसलिए होते हैं क्योंकि बोर्ड और खिलाड़ियों के बीच पारदर्शिता और विश्वास की कमी है।
“अगर बोर्ड सख्ती से अनुशासन लागू करे और खिलाड़ियों से बेहतर संवाद बनाए, तो कई विवादों से बचा जा सकता है।”
4. बाहरी दखल का असर
मुश्ताक ने बार-बार कहा है कि क्रिकेट के मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप से खेल का नुकसान होता है। उन्होंने चेतावनी दी कि बोर्ड को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाना चाहिए, ताकि निर्णय सिर्फ क्रिकेट के हित में लिए जा सकें।
“राजनीतिक हस्तक्षेप से हो सकता है कि कुछ समय के लिए राहत मिले, लेकिन इससे क्रिकेट की नींव कमजोर हो जाती है।”
5. नेतृत्व और भावनात्मक समर्थन की अहमियत
मुश्ताक ने बताया कि कठिन समय में उनके साथी खिलाड़ियों, खासकर इंज़माम-उल-हक के साथ उनका मजबूत रिश्ता रहा। उन्होंने कई बार इंज़माम का साथ दिया और बताया कि एक कप्तान या सीनियर खिलाड़ी का अपने साथियों को भावनात्मक समर्थन देना कितना ज़रूरी है।
“हम ड्रेसिंग रूम में साथ रोए हैं। यह रिश्ते मैदान के बाहर भी मायने रखते हैं।”
निष्कर्ष
मुश्ताक अहमद के अनुभव और बयान पाकिस्तान क्रिकेट के लिए एक आईना हैं। वे सिर्फ आलोचना नहीं कर रहे, बल्कि एक बेहतर प्रणाली की वकालत कर रहे हैं — जिसमें खिलाड़ियों को मानसिक रूप से सशक्त बनाया जाए, संवाद और अनुशासन को बढ़ावा दिया जाए और क्रिकेट से जुड़े सभी फैसले क्रिकेट के लोगों द्वारा लिए जाएं।
अगर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इन बातों पर गंभीरता से ध्यान दे, तो आने वाले समय में टीम फिर से मजबूती के साथ उभर सकती है।